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यौगिक संस्कृति में गुरु गोरक्षनाथ का योगदान एक समीक्षा

  • Writer: Ajay Pratap Singh
    Ajay Pratap Singh
  • Mar 24, 2024
  • 1 min read

कु.अर्चना

शोध छात्रा, दर्शनशास्त्र विभाग, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर

डा. संजयकुमार राम

सहायक आचार्य, दर्शनशास्त्र विभाग, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर

 

संक्षेपण

यह पेपर योग में महायोगी गोरक्षनाथ के महत्वपूर्ण योगदान की जांच करता है, अभ्यास को लोकतांत्रिक बनाने और शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को एकीकृत करने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालता है। नाथ संप्रदाय के भीतर गोरक्षनाथ की शिक्षाओं की खोज के माध्यम से, अध्ययन योग को सामाजिक सीमाओं के पार सुलभ और प्रासंगिक बनाने, समग्र स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान के वैश्विक आंदोलन को बढ़ावा देने पर उनके प्रभाव को रेखांकित करता है।


मुख्य शब्द

गोरक्षनाथ, नाथ संप्रदाय, योग लोकतंत्रीकरण, आध्यात्मिक कल्याण, समग्र स्वास्थ्य 



भारत में स्वयं सहायता समूह का सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य

नीलू रानी* शोध छात्रा, समाजशास्त्र विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविध्यालय, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश डा0 मनीष कुमार पाण्डेय** सहायक...

 
 
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